Tuesday, March 10, 2020


      "अंतर-आत्मा को झकझोर देने वाली सच्चाई"

     जी हां पिछले लगभग 50 वर्षों में पूरे भारतवर्ष में अगर कोई चीज बहुत तेजी से फैली है तो वह है #अंबेडकरवाद जी हां अंबेडकरवाद ने पूरे भारतवर्ष में अपने पांव पसारे हैं ।

     लोग जागरूक हुए हैं बाबा साहब अंबेडकर जी के बारे में जानने लगे हैं मान्यवर कांशीराम साहब जी के बारे में जानने लगे हैं बहुजनों को अपना इतिहास जाने का मौका मिला है- तभी इतनी ज्यादा तादाद में लोग अंबेडकरवाद को फॉलो करने लगे हैं हालांकि कुछ खामियां भी हैं लोग नाम तो लेते हैं मगर हिंदू धर्म की कुरीतियों पर ही चलने लगते हैं लेकिन अंत में अंबेडकरवाद का विस्तार तो हुआ है लेकिन बाबा साहब का जो मिशन था "शिक्षित बनो संगठित रहो और संघर्ष करो" तो बहुजन शिक्षित तो हुए हैं, अंबेडकरवाद भी फैला है लेकिन संगठित नहीं हुए आज जो विरोधी पार्टियों ने #बसपा को कमजोर करने के लिए "भीम आर्मी" नामक एक जिंद पैदा कर दिया है अंबेडकरवाद को तोड़ने के लिए हि ऐसा काम किया है।

      लोगों को समझ तो आएगा लेकिन थोड़ा टाइम लगेगा इसके विपरीत जो भारत में पिछले 50 सालों में अंबेडकरवाद का विस्तार तो हुआ है लेकिन इसके ठीक विपरीत पिछले लगभग 30 सालों में आर एस एस ने भी अपने आप को मजबूत किया है ठीक अंबेडकरबाद जिस तरह से विस्तार से फैला है लोग जागरूक हुए हैं आर एस एस अपने आप को संगठित करने में कामयाब रहा है, अंबेडकरवाद फैला जरूर है लेकिन लोग संगठित नहीं हुए, वहीं आर एस ने अपना विस्तार भी किया और संगठित भी है यही वजह है कि पिछले लगभग 6 वर्षों से आर एस एस की विचारधारा अपने आप को संगठित करने में कारगर रही है । वजह रही है उनका सबसे प्रमुख हथियार #जाति व #धर्म के नाम पर #ध्रुवीकरण हालांकि आर एस एस लोगों को जागरूक करने में इतनी सफल नहीं रही जितना की जाति-धर्म के नाम पर लोगों को गुमराह करके #ध्रुवीकरण करने में रही है।

      ज्यादा कुछ तो मैं नहीं कहूंगा अंत में यही निष्कर्ष निकलता है पिछले लगभग 50 वर्षों में जितना अंबेडकरवाद का विस्तार हुआ है इतना विस्तार होने के बावजूद भी बहुजन-समाज संगठित नहीं हुआ और पिछले लगभग 30 वर्षों में #हिंदुत्व की विचारधारा भले से विस्तृत नहीं हुई हो लेकिन आर एस फिर भी ध्रुवीकरण के जरिए अपने आप को संगठित करने में कारगर साबित हुआ है तो अब तय आपको करना है आप अंबेडकरवाद चाहते हैं या हिंदुत्ववाद ?

   
    ✍️

सोमवीर सिंह